नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने साल 2010 के पुणे जर्मन बेकरी विस्फोट मामले के दोषी की जमानत याचिका और आजीवन कारावास की सजा के खिलाफ उसकी अपील पर महाराष्ट्र सरकार से जवाब मांगा। उस हमले में 17 लोगों की मौत हुई थी।न्यायमूर्ति पी सी घोष और न्यायमूर्ति अमिताभ रॉय की पीठ ने नोटिस जारी किया और राज्य सरकार से जवाब मांगा। राज्य सरकार ने इससे पहले उच्च न्यायालय के
फैसले के खिलाफ अपील दायर की थी, जिसमें मिर्जा हिमायत बेग को सुनाई गई मौत की सजा को घटाकर आजीवन कारावास में तब्दील कर दिया गया था।
बेग को 17 मार्च को गैर कानूनी गतिविधि निरोधक अधिनियम और आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत गंभीर आरोपों से बरी कर दिया गया था। हालांकि, उसे आईपीसी की धारा 474 दस्तावेज के जाली होने की बात जानने के बावजूद उसके असली के तरह इस्तेमाल करने की मंशा से रखने और विस्फोटक पदार्थ अधिनियम की धारा 5 बी के तहत अपराधों के लिए दोषी ठहराया गया।
बेग कथित तौर पर प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन इंडियन मुजाहिदीन का सदस्य था। उसे जर्मन बेकरी विस्फोट मामले में संलिप्तता के लिए सितंबर 2010 में लातूर से गिरफ्तार किया गया था। जर्मन बेकरी पुणे के कोरेगांव पार्क इलाके में एक लोकप्रिय रेस्त्रां हैं, जहां विस्फोट में 17 लोगों की मौत हुई थी और कुछ विदेशियों समेत 58 लोग घायल हुए थे।
2013 में निचली अदालत ने बेग को दोषी ठहराया था और मौत की सजा सुनाई थी। बेग के अतिरिक्त कतील सिद्दीकी को भी मामले में गिरफ्तार किया गया था। कैदियों के साथ झगड़े के बाद पुणे के यरवदा जेल में उसकी मौत हो गई थी। अन्य वांछित आरोपियों में इंडियन मुजाहिदीन के मोहसिन चौधरी, रियाज भटकल, इकबाल इस्माइल भटकल, फय्याज कागजी और सैयद जबीउद्दीन अंसारी शामिल हैं। यासीन भटकल ने कथित तौर पर जर्मन बेकरी के पास बम रखा था। उसे अगस्त 2013 में गिरफ्तार किया गया था। उसके खिलाफ मामला निचली अदालत के समक्ष लंबित है।
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