नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने आज कहा कि गूगल, याहू और माइक्रोसॉफ्ट जैसे सर्च इंजनों पर यह दायित्व है कि वे भारत में जन्म से पूर्व लिंग निर्धारण से संबंधित विज्ञापनों की जांच करें। साथ ही न्यायालय ने उन्हें निर्देश दिया कि वे इस तरह की सामग्री पर रोक लगाने के लिए कोई अंदरूनी तरीका विकसित करें। न्यायाधीश दीपक मिश्रा और न्यायाधीश सी नागप्पन की पीठ ने कहा, ‘‘हमारी सोची-
समझी राय में उनपर गूगल, याहू और माइक्रासॉफ्ट यह देखने का दायित्व है कि तर्कसंगत समयावधि के भीतर ऑटो ब्लॉक का सिद्धांत लागू हो। यह दलील स्वीकार करना मुश्किल है कि अगर इसे उनके नोटिस में लाया जाता है तो वे जरूरी कदम उठाएंगे। इस बात पर अधिक जोर दिये जाने की जरूरत नहीं है कि कंपनियों को अंदरूनी प्रक्रिया, तरीका विकसित करना है और हम निर्देश दें।’’
यह निर्देश तब आया जब सॉलीसीटर जनरल रंजीत कुमार ने शीर्ष अदालत से कहा कि गूगल, याहू और माइक्रोसॉफ्ट की भारतीय इकाई ने लिंग निर्धारण पर कानून का पालन करने पर सहमति जता दी है और अपने-अपने सर्च इंजन पर इस मुद्दे पर कोई भी विज्ञापन या कोई अन्य सामग्री प्रकाशित करने की अनुमति नहीं देंगे।
उन्होंने पीठ से कहा कि सभी तीनों कंपनियों ने एक तकनीक विकसित की है, जिसे ‘ऑटो ब्लॉक’ कहा जाता है। यह तकनीक लिंग निर्धारण से संबंधित विज्ञापनों पर उसी क्षण रोक लगा देती है जब ऑनलाइन प्रणाली में विज्ञापन या सर्च को पेश किया जाता है।
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