आईआईपी, कर संग्रह पर नोटबंदी का असर नोटबंदी का उद्योगों पर कुछ असर दिसंबर में दिखा था और इसके बाद भी यह सरकार द्वारा आज जारी दो आंकड़ों में दिख रहा है। औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) की वृद्घि दर दिसंबर में 0.4 फीसदी रही जबकि नवंबर में इसमें 5.6 फीसदी की तेजी दर्ज की गई थी। इसी तरह कॉरपोरेट कर संग्रह अप्रैल से जनवरी के दौरान महज 2.9 फीसदी बढ़ा जबकि अप्रैल से दिसंबर
तक इसमें 4.4 फीसदी की वृद्घि देखी गई थी। उत्पाद शुल्क संग्रह की वृद्घि भी जनवरी में घटकर 26.3 फीसदी रही जबकि दिसंबर में यह 31.6 फीसदी थी। नोटबंदी के कारण विवेकाधीन खर्चों में कटौती होने से सेवा कर संग्रह में जनवरी के दौरान 9.4 फीसदी की वृद्घि देखी गई जबकि दिसंबर में इसमें 12.4 फीसदी की वृद्घि दर्ज की गई थी। हालांकि यह चकित करने वाला रहा कि नवंबर में शानदार वृद्घि दर्ज करने वाला आईआईपी में जनवरी के दौरान इतनी कमी क्यों रही। आईआईपी में 75.5 फीसदी भारांश वाले विनिर्माण क्षेत्र की वृद्घि दिसंबर में 2 फीसदी रही जबकि जनवरी में यह 5.6 फीसदी बढ़ा था। हालांकि अप्रैल से अक्टूबर में भी आईपीपी में उतनी तेजी नहीं आई थी। ऐसे में केवल विमुद्रीकरण ही आईआईपी में नरमी की वजह नहीं मानी जा सकती। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार अप्रैल-जनवरी के दौरान कुल कर संग्रह 12.85 लाख करोड़ रुपये रही है जो इस वर्ष के बजट अनुमान का 76 फीसदी है।economy news in hindi, Current Affairs 2017, Saturday, February 11, 2017
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